कंडीशनिंग क्या होती है , उसके प्रकार
कंडीशनिंग
किसी भी एथलीट या स्पोर्ट्स पर्सन के द्वारा खेल क्रियाओं में उत्पन्न होने वाली स्पेसिफिक कंडीशन या विशिष्ट स्थिति करने की क्षमता को ही कंडीशनिंग कहते हैं या कंडीशनिंग के अंतर्गत ही उस स्पेसिफिक कंडीशन को इंप्रूव किया जाता है
कंडीशन के अंतर्गत खिलाड़ी में खेल को बेहतर बनाने में , चोट के रोकथाम के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है इन के माध्यम से खिलाड़ी को उच्च स्तर के लचीलापन , श्वसन प्रक्रिया , मजबूत मांसपेशियां प्राप्त होती है जो खिलाड़ी को इंजरी में चोटों से बचाव करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है स्पोर्ट्स कंडीशनिंग प्रोग्राम के अंतर्गत एथलीट या खिलाड़ी को सम्मान कौशल अन्य एक्टिवा खिलाड़ियों से बेहतर पप्पू में से 15 स्थान प्राप्त होता है
यह दो प्रकार की होती है
- फिजिकल कंडीशनिंग
- साइक्लोजिकल कंडीशनिंग
फिजिकल कंडीशनिंग के अंतर्गत साड़ी को खेल से संबंधित किसी भी कंडीशनिंग को इंप्रूव करने के लिए प्रयोग की जाती है साथ ही साथ खिलाड़ी के मन से इंजरी का डर भी खत्म हो जाता है उसके लिए उसकी फिजिकल को इंप्रूव किया जाता है कि जो को मैं शक्ति प्रदान की जाती लक्ष्य लेपन में विकास होता है जिससे उसकी शारीरिक क्षमता भी बढ़ जाती है
साइक्लोजिकल कंडीशनिंग
इस प्रकार की कंडीशनिंग के अंतर्गत खिलाड़ी को मनोवैज्ञानिक कारकों के सहायता से खेल से संबंधित किसी भी स्पेसिफिक कंडीशन को इंप्रूव करने में मदद की जाती है जिससे खिलाड़ी का मस्तिष्क मन में इंटरेस्ट भी उस खेल के प्रति बढ़ जाता है साथ ही साथ मन से इंजरी का डर भी खत्म हो जाता है वह अच्छे से अच्छे अपने स्किल को इंप्रूव कर सकता है
कार्डियॉरेस्पिरेट्री कंडीशनिंग ट्रेनिंग
इसके अंतर्गत हमारे हृदय में स्नायु तंत्र की क्षमता को बढ़ाया जाता है
एरोबिक कंडीशनिंग
इस ट्रेनिंग को हम 3 मिनट तक कंटिन्यू रख सकते हैं जैसे जोगिंग सेलिंग में अदर इन मूवमेंट को हम लंबे समय तक कंटिन्यू रख सकते हैं यह सभी क्रियाएं ऑक्सीजन की उपस्थिति में किस जाती हैं तो इनके अवधि भी अधिक होती है
एरोबिक कंडीशनिंग
इस ट्रेनिंग के अंतर्गत होने वाली खेल क्रियाओं को हम केवल 3 मिनट तक एक अंक यूनिस रख सकते हैं क्योंकि इन सभी क्रियाओं को हम आक्सीजन की उपस्थिति में करते हैं ऐसे स्प्रिंट प्रिंटर के द्वारा की जाने वाली हंड्रेड मीटर टू हंड्रेड मीटर रनिंग ब्रॉड जंप आदि
इन क्रियाओं को करते समय ऑक्सीजन पूर्ति न होने के कारण हमें ने ज्यादा समय तक कंटिनेस नहीं रख पाते वह शरीर के अंदर लैक्टिक एसिड की उपस्थिति अधिक होने के कारण जल्दी थकावट होने लगती है
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